Wednesday, 26 June 2013
......तुम कहाँ थे शिव
तेरे वजूद पर उठने लगा प्रश्न चिन्ह
तुम कहाँ थे प्रभु ये सात दिन
दूर देश से दौड़े चले आये
घरों से निकला रेला
तेरे धाम पहुंचे भक्तों का लगा मेला
उस दिन जब मन में श्रद्धा थी
मन्नतों का था सैलाब भरा
तब प्रलय ने तेरे द्वार आ
विकराल रूप धरा
......तुम कहाँ थे महादेव
तुम्हारी जटाओं से कैसी निकली अब के ये गंगा
साथ हो ली मंदाकनी और अलखनंदा
मंदिर को तेरे शमशान बनाती
समक्ष तेरे मौत का नाच हुआ नंगा
.....तुम कहाँ चले गए थे भोलेनाथ
एक पिता ने दुःख लाख जताया
फिर दुःख ने भी उसको लाख समझाया
अपने बेटे को मृत पा कर तीसरे
माले पर रजाई के बीच सुलाया
.....तुम क्यों नहीं आये कैलाशपति
देख कैसी कैसी कहानियां
कह रही तेरी माटी
अपने पति का शव गोद में ले
तेरे दर पर पांच रातें काटी
कैसे रहे होंगे उसके हालात
खाक हुए सारे जज्बात
तुम गहन निद्रा में सोये
तब भी न हुआ तुम्हारा प्रभात
.....कहाँ रह गए थे तुम महाकाल
चंद रोज में ये क्या हो गया
भरा पूरा परिवार था वो अकेला रह गया
क्या वृद्ध क्या बच्चे हर तरफ त्राहि त्राहि हुई
देख तेरी नगरी कैसी तबाही हुई
तुम किसी क्षण भी आते तो
दुःख के साए यूँ न मंडराते
.....तुम कहाँ चले गए थे शंकर
ये कैसी विडंवना है
एक दुःख में तू ही जीने का सहारा है
तुझे छोड़ भला कौन किनारा है
देता भी है छीन लेता है जिंदगी
तुझ से ही जिंदगी उधार मांगते है
चंद और साँसें दे दे तेरा उपकार मानते हैं
मगर इतनी प्रार्थना पर भी तुम नहीं आये
.......ऐसा क्यों रूद्र
तुम तो न आये पर कोई और आया
जिसके सीने पर था तिरंगा लहराया
वो वतन की शान है हमारा सम्मान हैं
अपनी मिटटी की खातिर मर मिटे
जिगर में रखता इतनी जान है
जिसने बीच भंवर में डूबती
जीवन नैया को पार लगाया
मेरे मन ने तेरे अस्तित्व
पर सवाल उठाया
एक नजर तुझे ढूंढती
आकाश तक जा पहुंची पर
एक नजर टिकी थी उस पर
तेरी आस टूट चुकी थी
देर हो चुकी थी बहुत अब
देखो तुम से सब कितना डरते हैं
इतना सब होने पर तुझे दोष न देकर
खुद पर दोषारोपण करते हैं
तुम समझो इस जीवन को खेल ही सही
पर बात दिल में एक ही रही
कभी तुम भी इस मृत्यु लोक में जन्म लो
किसी पिता के दर्द को समझो
कैसे तुम्हारा तन थर्रायेगा
मन रोता बिलखता रह जाएगा
अथाह दर्द को समेटे जब
तुम भी किसी को पुकारोगे
तो कोई नहीं आएगा
.......तुम कहाँ थे त्रिदेव
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Bhagwan se guhar lagati behtarin kavita. Many congratulations.
ReplyDeleteअसुरक्षित श्रद्धा ..
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति .आभार .
ReplyDeleteहम हिंदी चिट्ठाकार हैं
भारतीय नारी
सटीक अभिव्यक्ति , शुभकामनाये
ReplyDeleteह्र्दय की गहराई से निकली सटीक अभिव्यक्ति रूपी सशक्त रचना
ReplyDeleteबिलकुल उचित सवाल भोले से. उनके आँगन में ऐसा तांडव क्यों?
ReplyDeleteभावपूर्ण प्रस्तुति.
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