अगर चल सकते हो तो चलो मेरे साथ
इन हवाओं से आगे इस जहाँ से आगे
आकाश की चादर को उस कोने से उतार कर
तुम्हारे क़दमों के नीचे डाल दिया है
सूरज की तपती गर्मी न सताए इसलिए
कुछ देर को कोठरी में डाल दिया है
चाँद तारे बिछ गए हैं राहों में
सारे नज़ारे सिमट गए हें बाँहों में
ये सफ़र बेहद खूबसूरत होगा
उस मंजिल की जरूरत होगा
अधखुली आँखों के आगे जो
हलकी रौशनी टिमटिमा रही है
आते जाते कितने ही असंख्य
दीयों को एक साथ जला रही है
आगे चलकर देखो चमन के फूलों
ने अपनी भीनी महक से फिजाओं
को बहका कर होश जो उडाये हैं
इन सुंदर तितलियों के मखमली
पंखों को छूकर कुछ रंग
मेरी भी हथेली में आये हैं
इन से अहसासों का रंग
और गहरा हो रहा है
मन में उठते विचित्र भावों पर
हल्का सा पहरा हो रहा है
तुम देखते हो बादलों के मध्य
कितने सितार बज रहे हैं
जहाँ तक नजर जाती है
ये सारे मनोरम दृश्य सज रहे हैं
तुम अपना हाथ आगे बढाओ
इनका हल्का सा स्पर्श पाओ
इन सब के साथ मिलकर
एक नया जहाँ बसाओ
इस छोर से उस अर्श तक
सब तुम्हारे हैं
ये बादल झीलें महकती कलियाँ
चाहे चाँद तारे हैं
बस अब मुझे वापिस जाना होगा
उस जगह जहाँ राह न मंजिल
का ठिकाना होगा
ये सब कुछ भी न होगा अब
कंटीली झाड़ियों और पथरीले
रास्तों का संगम होगा बस
पैरों में फफोले पड़ेंगे फिर भी
आग का दरिया पार करना होगा
मुझे ये सफ़र अकेले तय करना होगा
फिर आऊंगी तुम्हें इस मोड़ से आगे ले जाने
फिर एक नयी सुबह एक नया सपना
एक और खूबसूरत दुनिया दिखाने
इस छोर से उस अर्श तक
ReplyDeleteसब तुम्हारे हैं
ये बादल झीलें महकती कलियाँ
चाहे चाँद तारे हैं
बहुत सुन्दरता से शब्दों का चयन किया है,
आभार,,,,यहाँ भी पधारे
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/04/blog-post.html
फिर आऊंगी तुम्हें इस मोड़ से आगे ले जाने
ReplyDeleteफिर एक नयी सुबह एक नया सपना
एक और खूबसूरत दुनिया दिखाने
....बहुत ख़ूबसूरत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति...
Beautiful as always.
ReplyDeleteIt is pleasure reading your poems.
अत्यंत सुन्दर प्रस्तुति हैं हार्दिक आभार आपका.
ReplyDeleteपैरों में फफोले पड़ेंगे फिर भी
ReplyDeleteआग का दरिया पार करना होगा
मुझे ये सफ़र अकेले तय करना होगा.
यही समझना आवश्यक है. सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.
बधाई और शुभकामनाएँ.
खुबसूरत एहसास सुंदर प्रस्तुति !!
ReplyDeleteसुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.,बधाई और शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
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