हरा एकांत
Friday, 22 June 2018
मैं देख रही थी...
मैं
देख
रही
थी
गहरी
घाटियां
सुन्दर
झरने
फल
फूल
तालाब
और
हो
रही
थी
आबाद
तभी
चुपके
से
पहाड़
ने
झुक
कर
नदी
को
चूमा
मेरे
देखने
से
पहले
ये
सब
सोच
लेने
से
पहले
नदी
हो
गयी
स्त्री
और
मैं
हो
गयी
प्रकृति
नदी
का
स्त्री
होना
नदी
पर
निर्भर
था
और मेरा
मुझ
पर
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मैं देख रही थी...
मैं देख रही थी गहरी घाटियां सुन्दर झरने फल फूल ताला...
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