Wednesday, 4 December 2013

तेरे मिलने के बाद...








जज्बातों को रौदां है बहुत अपने
तब जाकर जिंदगी तेरे पहलु तक आये हैं

है उम्मीद इन जलते चिरागों से बहुत
जो रौशनी में इतने झिलमिलाये हैं


गुलिस्तां के फूलों के रंग इतने सुर्ख न थे
जितने की तेरे मिलने के बाद हो आये हैं

होश अपने मखमली एहसासों के रख छोड़े
जो तूने अपने बेगानों के बीच कराये हैं

मुट्ठी भर रेत जो हवाओं में घुलने लगी
सरकते वक्त से कुछ पल हमने बचाये हैं

कोशिशें तमाम यूँ ही जारी है तैरने की
गहरे समंदर में जब से गोते लगाये हैं

बीती जिंदगी का फिछले सिर खोला हमने
कुछ दबे राज ऐसे भी उभर कर आये हैं

गहराता जाता है अँधेरा चारों तरफ
अश्कों में डूबे लब्ज जब से स्याह हो आये हैं

कमी कोई नहीं है देख लो फिर भी मगर
मांगने को बन के फकीर तेरे दर पर आये हैं

13 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन रचना...
    :-)

    ReplyDelete
  2. बहुत खूबसूरत लिखा....!!

    ReplyDelete
  3. कमी कोई नहीं है देख लो फिर भी मगर
    मांगने को बन के फकीर तेरे दर पर आये हैं ..

    बहुत खूब .. ये प्रेम का असर है ... फ़कीर होना भगवान के करीब होना ही तो है ...

    ReplyDelete
  4. है उम्मीद इन जलते चिरागों से बहुत
    जो रौशनी में इतने झिलमिलाये हैं
    बहुत सुंदर पंक्तियाँ !

    ReplyDelete
  5. कल 06/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार यशवंत जी..

      Delete
  6. ज़िन्दगी और हालातों को पल पल जीने वाले जब लिखते हैं, तो जज़बातों का सैलाब ला देते हैं।
    आदरणीय मंजूषा जी कुछ आपकी लेखनी में भी कुछ ऐसा ही जादू है।
    बहुत बहुत शुभकामनायें

    ReplyDelete
  7. सुन्दर रचना .......

    ReplyDelete
  8. है उम्मीद इन जलते चिरागों से बहुत
    जो रौशनी में इतने झिलमिलाये हैं
    ..बहुत बढ़िया ..उम्मीद है तो प्यार बना रहता है ..

    ReplyDelete
  9. कमी कोई नहीं है देख लो फिर भी मगर
    मांगने को बन के फकीर तेरे दर पर आये हैं ..

    .............बहुत खूब शुभकामनायें

    ReplyDelete
  10. मुट्ठी भर रेत जो हवाओं में घुलने लगी
    सरकते वक्त से कुछ पल हमने बचाये हैं
    ...वाह! बहुत सुन्दर...

    ReplyDelete
  11. कमी कोई नहीं है देख लो फिर भी मगर
    मांगने को बन के फकीर तेरे दर पर आये हैं ..
    .......वाह बहुत उम्दा भाव

    ReplyDelete
  12. आह और वाह दोनों एक साथ ...:) बेहतरीन भाव संयोजन से सजी कोमल भाव अभिव्यक्ति ...

    ReplyDelete

मैं देख रही थी...

                                              मैं देख रही थी   गहरी घाटियां सुन्दर झरने   फल फूल ताला...