युगों ने बदला ब्रह्माण्ड का स्वरूप
सदियों ने तय किया इंसान का रूप
परन्तु मैं वहीं हूँ जहां कालांतर में थी
समय का हर क्षण ब्रह्माण्ड की हर वस्तु
जानना चाहती है आखिर कौन हूँ मैं
अपना रहस्य न खोलने वाली
एक आत्मा क्यों मौन हूँ मैं
अपने अस्तित्व के बारे में
क्या मुझे कुछ कहना है
या सृष्टि की रचना के सन्दर्भ
में यूँ ही चुप रहना है
विशाल अन्तरिक्ष की गहनता
को नाप है मैंने
लाखों मीलों का सफ़र
पलक झपकते किया है मैंने
समय का पहिया हर क्षण
एक नया दृश्य सम्मुख प्रस्तुत
करता रहा
इस ब्रह्म लोक में काल भी
मुझसे प्रश्न करता रहा
एक आवेग एक ओज एक तेज का
समावेश है मुझमे
जो हजारों प्रकाश पुंजों के तेज को
ध्वस्त करता रहा
कितनी ही आकाश गंगाओं
से गुजरी हूँ मैं
पृथ्वी पर जब मेरा आगमन हुआ
तनिक पहले उसके आवरण ने मुझे छुआ
सहसा आभास हुआ परमात्मा का अंश
जो मुझमे था कहीं खो गया
अनायास ही भटकती जा रही थी
छली जा रही थी हर पल हर क्षण
हर घडी मुझे जता रही थी
निष्क्रिय हो किस दिशा में खिची
चली जा रही थी
वायु का वेग पीड़ादायक महसूस होता था
सहसा बज्रपात हुआ
जैसे मेरे अहम पर कुठाराघात हुआ
ठोस धरातल की चट्टानों के बीच
बिखर चुकी थी मैं
इधर उधर कितनी ही बूंदें छिटक गयी
कितनी घनघोर पीड़ा उठती थी
कितना भयावह दृश्य था
हर बूँद सिमट कर एक आकार ले रही थी
जो जीवन को विस्तार दे रही थी
एक जनम दूसरा जनम तीसरा जाने
कितने जनम
इस तरह मृत्यु के लोक में हुआ
मेरा स्वागतम
निरर्थक है या है सार्थक ये
कहना है मुश्किल
उस के द्वारा रची गयी हूँ परमात्मा
है इसका हल
उस दैवीय शक्ति को बना मंजिल
मैं देह में आरूढ़ होती हूँ
हर जीव में विद्यमान हूँ मैं
कोई रूप आकार नहीं है मेरा
ये बेहद रहस्यात्मक है घेरा
बस तुम मुझे महसूस करो
अथाह शक्ति है मुझमें
तुम मेरा आवाहन करो
क्षण भर ना डरो
ना विचलित हो तुम में मैं
हूँ या मैं में तुम
इस उधेड़बुन में हो जाओ
न गुम
यह गूढ़ रहस्य कभी होगा
न उजागर
मैं जल की एक मत्स्य वो है
विशाल सागर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - शुक्रवार - 20/09/2013 को
ReplyDeleteअमर शहीद मदनलाल ढींगरा जी की १३० वीं जयंती - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः20 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
हार्दिक आभार दर्शन जी...
Deleteखूब रम कर लिखी रचना। संवेदना भी,विचार भी, चिंतन भी और सोच भी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका...सूरज जी..
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉगर्स चौपाल आज की चर्चा : दिशाओं की खिड़की खुली -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : चर्चा अंक :006
ललित वाणी पर : जिंदगी की नई शुरूवात
सुन्दर शब्दों से सजाया है आपने मन की बातों को, बहुत ही गहन...सुन्दर !
ReplyDeleteउन्दा रचना ...
ReplyDeleteआत्मा का आत्मा-चरित बहुत सुन्दर शब्दों में -बहुत सुन्दर
ReplyDeletelatest post: क्षमा प्रार्थना (रुबैयाँ छन्द )
latest post कानून और दंड
बहुत सुन्दर और गहन अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबेहतरीन आध्यात्मिक कविता
ReplyDeleteसादर
हार्दिक आभार अरुण जी...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कृति ''मंजूषा'' जी
ReplyDeleteगहरी चिंतन से उपजी ये रचना।
बहुत बहुत बधाई
बहुत खुबसूरत चिंतन !!
ReplyDeleteअपने को जानने के यात्रा में बेहद गहन विचार प्रस्तुति !!
बहुत गहराई में ले जाती रचना. अति सुन्दर.
ReplyDeleteगूढ़ चिंतन ,सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण रचना .
ReplyDeleteअध्यात्म की ऊँचाइयों को स्पर्श करती अद्भुत रचना !
ReplyDeleteshabdo ke jaadugar lag rahe aap :)
ReplyDeleteadbhut ...
बढ़िया गहन अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
ReplyDeleteशुभकामनाएं!
मंजुषा जी, आपकी इस कविता में वेदना की जो स्मृति अभिव्यक्त हुई है वह अंततः जीवन की ही अनुभूति है; इसलिए यह अस्वाभाविक नहीं लगता कि उसका सहज स्वीकार भी आपकी कविता में न केवल जिजीविषा का ही एक प्रकार है बल्कि उसे एक सार्थकता भी देता है । यह नहीं कि इस कविता में वेदना के लिए कोई ललक है, लेकिन उसकी स्मृति भी जीवन के हमारे बोध को न केवल प्रामाणिक बल्कि और गहरा भी करती है |
ReplyDeleteहौसला बढ़ने हेतु हार्दिक आभार आपका...मुकेश मिश्रा जी ..
Deletejeevan mrutyu ki gahn samjh ke sath likhi ek sundar prastuti ..
ReplyDeleteआप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल {बृहस्पतिवार} 26/09/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" पर.
ReplyDeleteआप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
आपका हार्दिक आभार...राजीव जी...
Deleteप्रशंसनीय प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना.. बहुत ही गूढ़ विषय पर काव्यात्मक प्रस्तुति प्रसंशनीय है..
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका ...नीरज जी...
Deleteसुन्दर रचना।। आभार।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ : सदाबहार अभिनेता देव आनंद
deep feeling with silent rythem...............
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव ..कोमल रचना ..सच में उस अथाह में एक बूँद ही हैं हम ...
ReplyDeleteनव रात्रि की हार्दिक शुभ कामनाएं
भ्रमर ५
कुल्लू हिमाचल
बहुत सुन्दर भाव...
ReplyDeleteअच्छी रचना...
अनु