Tuesday 27 August 2013

ये धुंधले आशियाने






ये धुंधले आशियाने कुछ कहते हैं 
हम आज भी बीते हुए कल में रहते हैं 

कुछ बातें अधूरी सी 
वो शामें सिन्दूरी सी 
यादों के शामियाने कुछ कहते हैं 

जिंदगी की लौ तले
बुझ गए जो दिए 
अपनी रौशनी की कहानी कहते हैं 

रहती है कसक दिल में 
कई मर्तवा जो उठे 
वो खामोश अफ़साने कुछ कहते हैं 

ये दूरियां ही सही 
जो मजबूरियां ही रही 
वो बेबसी के मंजर कुछ कहते हैं 

ये जो तनहाइयां न हों 
या फिर परछाइयां न हों
वो गहराते साये कुछ कहते हैं  

24 comments:


  1. रहती है कसक दिल में
    कई मर्तवा जो उठे
    वो खामोश अफ़साने कुछ कहते हैं


    वाह बहुत सुंदर,

    ReplyDelete
  2. कुछ बातें अधूरी सी
    कुछ शामें सिंदूरी सी
    यादों के शमियाने कुह कहते हैं ...
    बहुत खुबसूरत रचना बधाई ....

    ReplyDelete

  3. मंजूषा जी,
    आपकी ये रचना बहुत कुछ कहती है.
    मन के भाव को सुन्दर बिखेरा है।
    बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  4. गहरे भाव मन को छूने में समर्थ हैं ...
    बधाई !

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - शुक्रवार 30/08/2013 को
    हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः9 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार ...darshan jangra जी.....

      Delete
  6. कुछ बातें अधूरी सी
    वो शामें सिन्दूरी सी
    यादों के शामियाने कुछ कहते हैं ...

    यादों के बवंडर न अधूरी बातों को हर बार पूरा करने की कोशिश करते हैं ... अनजाने ओर नए मुकाम तक हर बार ले जाते हैं ... फिर लौट आते हैं दुबारा यादों में जीने के लिए ...
    सजीव भाव ...

    ReplyDelete
  7. हार्दिक आभार ...यश वंत जी....

    ReplyDelete
  8. रहती है कसक दिल में
    कई मर्तवा जो उठे
    वो खामोश अफ़साने कुछ कहते हैं

    .....interesting creation Manjusha ji !

    ReplyDelete
  9. उम्दा रचना और शब्द संयोजन के लिओये बधाई मंजूषा जी |
    "कुछ बातें अध्प्प्री सी ---------शामियाने कुछ कहते हैं |
    भावपूर्ण पंक्ती
    आशा

    ReplyDelete
  10. गहरे भाव की सुन्दर अभिव्यक्ति !
    latest postएक बार फिर आ जाओ कृष्ण।

    ReplyDelete
  11. यादों के शामियाने कुछ कहते हैं ...
    ***
    निश्चित ही!

    Well expressed!
    Regards,

    ReplyDelete
  12. ये दूरियां ही सही
    जो मजबूरियां ही रही
    वो बेबसी के मंजर कुछ कहते हैं
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ .

    ReplyDelete
  13. ज़िंदगी का हर पल कुछ न कुछ कहता है... बस उसे देखने सुनने और समझने की नज़र होनी चाहिए सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल पर आज की चर्चा मैं रह गया अकेला ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः003 में हम आपका सह्य दिल से स्वागत करते है। कृपया आप भी पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | सादर ....ललित चाहार

      Delete
  14. हर लफ्ज़ कुछ कहता है...
    और हमने सुना उसका कहा....

    सुन्दर!!!

    अनु

    ReplyDelete
  15. लम्हे भर में ही पूरी तस्वीर हमारे सामने आ गई।
    Please see:
    http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/BUNIYAD/entry/black_majic

    ReplyDelete
  16. यादों के शामियाने कुछ कहते हैं ...सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल पर आज की चर्चा मैं रह गया अकेला ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः003 में हम आपका सह्य दिल से स्वागत करते है। कृपया आप भी पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | सादर ....ललित चाहार

      Delete
  17. इस अफ़साने की हर बात कुछ कहती है ....:)

    ReplyDelete
  18. Ek aur behatarin gazal ManjushaJi..Thank you for sharing with us..

    ReplyDelete
  19. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    आपने लिखा....हमने पढ़ा....
    और आप भी पढ़ें; ... मैं रह गया अकेला ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः003 हम आपका सह्य दिल से स्वागत करते है। कृपया आप भी पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | सादर ....ललित चाहार

    ReplyDelete
  20. सुन्दर भावों को ख़ूबसूरती से पिरोया गया है.

    ReplyDelete

मैं देख रही थी...

                                              मैं देख रही थी   गहरी घाटियां सुन्दर झरने   फल फूल ताला...